(Public Policy in India) (भारत में सार्वजनिक नीति ) Semester 6th B.A Political science

                                                        नीित िवæलेषण  

प्रèतावना

हाल के दशकɉ मɅ नीित िवæलेषण का अÚययन तेजी से बढ़ा है खासकर सरकारी नीितयɉ और  अकादिमक  क्षेत्रɉ  मɅ,  लेिकन  इसकी  शु ǽआत 1960 के  दशक  मɅ  सयं ु क्त  राÏय अमेिरका  से हु आ। इस अÚययन क्षत्र की उ×पिƣ क े े पीछे दो प्रमख कारण िदखाई द ु ेते हɇ िजसने इस क्षेत्र  को  सरकारी  और  अकादिमक  क्षेत्रɉ  मɅ  बहस  का  िवषय  बनाया।  सबसे  पहले,  पिæचमी  औɮयोिगक समाजɉ मɅ सरकार के सामने आने वाली समèया और  उसका  हल  िनकालने मɅ आने वाली किठनता ने नीित िनमार्ताओं को इसका प्रयोग करने के िलए प्रेिरत िकया। दसरा ू , अकादिमक शोधकतार्ओं ने, िवशेष Ǿप से सामािजक िवज्ञान िवषयɉ मɅ नीित-सबं ंधी मɮदɉ पर  ु अपना Úयान कɅिद्रत िकया और अपने ज्ञान को उन समèयाओ को हल करने के िलए वतमान  र् सरकारɉ से प्रमखता स ु े इसे लाग करन ू े की माँग की।

                                                          


नीित-िनमार्ताओं ɮवारा इस अÚययन क्षेत्र को अकादिमक अनु सधान का िवषय बनान ं े के िलए  कोई  हड़बड़ी  नही  िदखाई  गई  और  न  ही  नीित  िवæल ं ेषण  गितिविधयɉ  के  प्रित  शोधकतार्ओं  के  बीच  इसका  त×काल  पु निवÛयास  ह र् ु आ।  लेिकन  इस  िवषय  को  सरकारी और  अकादिमक क्षेत्रɉ मɅ èथािपत करने के िलए आने वाले वषɟ मɅ कुछ जǾरी कदम अवæय उठाये गए।  जसै े,  कुछ  वषɟ  मɅ  सावजिनक  नीित र् /नीित  िवæलेषण  के  अÚययन  के  िलए  नए  िवæविवɮयालयɉ मɅ िशक्षण कायक्रम िवकिसत िकए गए और साथ ही नीित िवæल र् ेषण, नीित  अÚययन और नीित  िवज्ञान के  िलए समिपत अकादिमक पित्रकाए र् ँ शु Ǿ की गईं। वही दसरी  ू तरफ,  राजनीित  िवज्ञान,  आिथक  और  समाजशाèत्र  ज र् सै े  èथािपत  िवषयɉ  मɅ  िशक्षकɉ  और  शोधकतार्ओं  ने  नीित-सबं ंिधत  िवषयɉ  पर  प्रकाशनɉ  का  िनमार्ण  शु Ǿ  िकया।  उसी  दौरान  सरकारɉ ɮवारा  िभÛन-िभÛ न सरकारी एजɅिसयɉ मɅ नीित  िवæलेषकɉ को  िनयु क्त करना प्रारंभ  कर  िदया।  1972  मɅ  इन  िवकासɉ  के  बारे  मɅ  िलखते  हु ए,  हेक्लो  ने  नीित  िवæलेषण  की  ‘नवीनीकृत फैशन क्षमता’ का उãलेख  िकया करते हु ए कहा  िक एक उपयोगी अÚययन क्षेत्र  का  िवèतार  हो  रहा  था,  लेिकन  यह  पू री  तरह  से  नया  नहीं  था।2   इन  िटÜपिणयɉ  को  प्रितÚविनत करते हु ए रोɬस ने कहा िक अिधकांश काय जो नए होन र् े का दावा करते थे वह  ‘सभी बहु पिरिचत’ थे। 3

यह  पिरिचतता  सरकार  के  सचालन और  िशक्षािवदɉ और  शोधकता ं र्ओं  के  बीच  नीितगत  मɮदɉ  म ु Ʌ  लंबे  समय  से  चली  आ  रही  ǽिच  से  उ×पÛन  हु ई।  जो  अÚययन  मल  Ǿप  स ू े राजनीितक वैज्ञािनकɉ, अथशािèत्रयɉ और अÛय लोगɉ क र् े काम से  िवकिसत हु ए थे उÛहɅ अब  उभरते नीित  िवæलेषण पिरप्रेêय मɅ अपनाया गया था। समान Ǿप से, सामािजक  िवज्ञान के ज्ञान को सरकार की समèयाओं पर लाग करन ू े और सरकार की गितिविधयɉ और िनणयɉ को  र् प्रभािवत  करने  का  प्रयास  कीÛस,  वेÞस  और  माक्स  जर् सै े  सरीखे  िवɮवानɉ  ने  िकया,  जो  åयिक्तयɉ को नीित-िनमार्ण मɅ शािमल करने वाली परंपरा पर आधािरत था।4  एक दसरा अ ू तर  ं यह था िक सावजिनक नीित आ र् ंदोलन ने सरकार की समèयाओं के िलए एक नया Ǻिçटकोण  पेश  करने  का  दावा  िकया,  िजसकी  तु लना  लोक  प्रशासन  के  साथ  की  गई  िजसकी  किथत  िवफलताओं  ने 1960  के  दशक  के  अत  म ं Ʌ  नीित  िवæलेषण  के  िवकास  के  िलए  प्रो×साहन  प्रदान िकया। 

हाल  के  वषɟ  मɅ,  अÚययन  के  तीन  अलग-अलग  क्षेत्र  िवकिसत  हु ए  हɇ,  जो  सावजिनक  र् नीित  की  हमारी  समझ  मɅ  महǂ वपणू  योगदान  करत र् े  हɇ  िजसमɅ  पहला  है नीित  िवज्ञान,  जो  1950  के  दशक  मɅ  हेरोãड  लासवेल  ɮवारा  इसका  िवकास  िकया  गया।  दसरा  ह ू ै,  नीित  अÚययन  का  क्षेत्र  जो  राजनीित  िवज्ञान  के  उप-क्षेत्र  के  Ǿप  मɅ  उभरा।  तीसरा  है,  नीित  िवæलेषण  का  क्षेत्र  था,  िजसे 1990  के  दशक  मɅ  फोड  फाउ र् ंडशन  अन े दान  ɮवारा  िवकिसत  ु िकया गया था, जो लाग सू êमू -अथशाèत्र करन र् े वाले सèथानɉ क ं े एक समह क ू े Ǿप मɅ शǾ  ु हु आ,  जो  बाद  मɅ  जनल ऑफ  पॉिलसी  एनािलिसस  ए र् ंड  मनै ेजमɅट  के  तहत  åयापक  Ǿप  से इसका िवèतार हु आ। नीित िवæलेषण सावजिनक नीित क र् े अÚययन के िलए सêमू -अथशाèत्र  र् का एक अनु प्रयु क्त िवèतार था। लेिकन यहाँ सवाल यह उठता है िक क्या इस तरह के प्रयोग  िजसकी शु ǽआत पिæचमी देशɉ ने अपने समèयाओं को मɮदेनज़र की क्या वह पɮधित और  तरीके दिक्षण के देशɉ िक समèयाओं के िलए उिचत है और अगर है भी तो इसका पिरणाम  पिæचमी  देशɉ  के  सामान  ही आयेगा  जो  िक  एक  Ïवलत  प्रæन  ह ं ै।  उदाहरण  के  िलए,  बड़ी  सख्या म ं Ʌ लोक नीित/नीित  िवæलेषण पर  िलखे गए सािह×य का बड़ा  िहèसा पिæचमी सदभɟ  ं मɅ िनिहत है और इसे पिæचमी के िवɮवानɉ ɮवारा èथानीय समèयाओं को Úयान मɅ रखकर  िवकिसत िकया गया है। साथ ही क्या इन शतɟ और अवधारणाओं का उपयोग वैिæवक दिक्षण  मɅ  सावजिनक  नीित  प्रिक्रयाओ र् ं  को  समझने  के  िलए  िकया  जा  सकता  है।  अतरा ं र्çट्रीय  सावजिनक नीित छात्रव र् िƣ क ृ े भीतर, एक Ïवलत प्रæन ह ं ै  िक क्या उƣर मɅ  िवकिसत नीित  पिरवतन की åयाख्या करन र् े वाले उपकरणɉ,  िसɮधांतɉ और अवधारणाओं का उपयोग दिक्षण  मɅ नीित प्रिक्रयाओं को समझने के िलए िकया जा सकता है। इÛहीं सब सवालɉ के मɮदेनजर  नीित  िवæलेषण  का  अÚययन  क्षत्र  छात्रɉ े ,  नीित  िनमार्ता  और  सरकारी  और  गरै-सरकारी  सèथानɉ का ǽिच का िवषय बना ह ं ु आ है। 

नीित क्या है?

नीित सरचना सरकार क ं े महǂ वपू ण कायɟ म र् Ʌ से एक है,  िजससे वह अपने  िनधािरत वा र् ंिछत  उɮदेæयɉ  को  प्राÜत  करने  हेत  प्रयोग  म ु Ʌ  लाती  है।  वतमान  राÏय  åयवèथा  कãयाणकारी  र् प्रितमान पर आधािरत है, िजसका उɮदेæय जनता िक देखभाल करना है और उसके मलभू त  ू आवæ यकताओं िक पितू  करना। इÛही र् ं सभी जǾरतɉ को पू रा करने के िलए प्र×येक सरकार एक  नीित  का  बनाती  है और  उसी  के आधार  पर अपने  कायɟ  का  िनçपादन  करती  है।  वतमान  र् समय  मɅ नीित  शÞद का  प्रयोग  समाज के  िविभÛन  वगɟ, जैसे  िशक्षािवदɉ,  िचिक×सकɉ, गर ै सरकारी सगठनɉ ं , छात्र और नीित-िनमार्ताओं ɮवारा अलग-अलग चीजɉ के  िलए  िकया जाता  है। िजससे ‘नीित’ शÞद िवɮयािथयɉ और शोधािथ र् यɉ क र् े बीच मɅ भ्रिमत करने वाला शÞद बन  गया है खासकर इसके पिरभाषा को लेकर। लेिकन साधारण शÞदɉ मɅ कहे तो नीित ‘िनयमɉ  का एक समू ह होती है’ िजसके ɮवारा सरकार अपने उɮदेæयɉ को पूित करती ह र् ै।  िरचड रोज

के  शÞदɉ  मɅ कहे तो  ‘नीित कोई  िनणय नही र् ं  है, अिपतु  कायवाही  ह र् ेतु   माग अथवा  प्रितदश र् र् होती  है’। नीित  ही सरकारी और गरै-सरकारी åयवèथाओं को ऐसा ढाँचा उपलÞध कराती  है, िजसके भीतर  िकसी उɮदेæय  िक पूित कर् े  िलए सभी कायवािहया र् ँ गितशील होती है। लेसवेल  और कापलान नीित को लêयɉ, मãयɉ तथा प्रयोगɉ क ू े प्रदिशत काय र् क्रम क र् े Ǿप मɅ देखते हɇ। 5 वही काल फ्रर् ेडिरक का मानना है िक ‘नीित हमे एक Ǻिçटकोण प्रदान करती है, िजससे एक  लêय, Úयेय अथवा उɮदेæयɉ िक पूित िकया जा सक र् े’।

हॉगवु ड  और  गन  नीित  शÞद  का  प्रयोग  कई  अलग-अलग  तरीकɉ  से  करते  हɇ।  सबसे पहले, ‘नीित’ शÞद का प्रयोग åयापक अथ मर् Ʌ गितिविधयɉ के कायक्षर् ेत्र को लेकर िकया जाता  है। जो आपने आप मɅ काफ़ी  åयापक मालम पड़ता  ह ू ै,  िजसमɅ  हम  िकसी देश की  èवाèØय  नीित, िवदेश नीित या आिथक नीित को सिàमिलत करत र् े हɇ या उससे भी आगे जा सकते हɇ।  दसरा ू , इसका प्रयोग सामाÛय प्रयोजन की अिभåयिक्त के Ǿप मɅ या िफर जब हम भिवçय मɅ प्रक्षेिपत होने की वांिछत िèथित का उãलेख करते हɇ। उदाहरण के िलए, राजनीितक पािटर्यɉ  का  घोषणा-पत्र और  भाषण—  जो  इस  तरह  की  बयानबाजी  से  भरे  हु ए  हɇ,  जसै े ‘हम  प्रयास  करɅगे...’  या  ‘हम  इसे  देखɅगे  िक...’  या  ‘यह  हमारी  नीित  होगी...’  आिद।  इस  शÞद  प्रयोग  चु नावɉ  के  समय  बहु त  आम  हो  जाता  है,  जब  राजनीितक  दल  अपने  बयानɉ  के  जिरये मतदाताओं को खु श करने की कोिशश करते हɇ। तीसरा, इसका प्रयोग िकसी िविशçट प्रèताव  या लêय को प्राÜत करने के साधन के Ǿप मɅ होता है। जसै े, जब एक मख्यम ु त्री जोर द ं ेता है िक ‘...  हम खाɮय सरक्षा को बढ़ावा  द ु ेने के  िलए  िरयायती राशन प्रदान करɅगे’, तो  इसका  सदभं   कर् ुछ  प्राÜत  करने और  कुछ  समाÜत  करने  के  एक  िविशçट  साधन  के  िलए  होता  है।  चौथा,  इसका  प्रयोग  िकसी  िविशçट  कायक्रम  क र् े  सदभं   मर् Ʌ  हो  सकता  है। यह  अक्सर  िकसी  िवशेष गितिविध के िलए प्रितबɮध कानू न, सगठन और स ं साधनɉ क ं े पैकेज के Ǿप मɅ प्रकट  होता है। उदाहरण, मÚयाéन भोजन योजना या प्राथिमक िशक्षा कायक्रम रख सकत र् े हɇ। इस  सदभं  मर् Ʌ कई बार ‘नीित’ और ‘कायक्रमर् ’ शÞद का प्रयोग एक दसर ू े के èथान पर िकया जाता  है। भारतीय सदभं  मर् Ʌ, सव िशक्षा अिभयान या इ र् ंिदरा आवास योजना जसै े हèतक्षेप इस Įेणी  मɅ आते हɇ। पाँचवाँ, इस शÞद का प्रयोग िकसी कानू न को प्रािधकार देने के Ǿप मɅ भी होता  है।  उदाहरण  के  िलए,  जब  हम  कानू न  का  उãलेख  करते  हɇ—  ससद  का  एक  िविशçट  ं अिधिनयम  या  एक  वैधािनक  साधन  के  Ǿप  मɅ।  कानू न  नीित  का  एक  Ǿप  है (इसे  नीित  साधन के Ǿप मɅ देखा जा सकता है)। कानू न कुछ िवशेषताओं के साथ नीित का ही एक Ǿप  है, जो इसकी वैधता को पिरभािषत करता है। आिखर मɅ, नीित, िविशçट वक्तåयɉ मɅ िनिहत

                                                               


सरकार के िविशçट िनणयɉ को स र् दिभ ं त कर सकती ह र् ै। जैसे िक भारतीय सदभं  मर् Ʌ 2002 की  राçट्रीय जल नीित या 1988 की राçट्रीय वन नीित। यह इस अथ मर् Ʌ आवæयक Ǿप से िनणय  र् नहीं हɇ, जो कानू नी Ǿप मानने पर  िववश करते हɇ, यह केवल  िदशा-िनदȶश या  िनदȶश प्रदान  करते हɇ। 7    æनाइडर और इनग्राम का मानना है िक नीित की एक åयापक Ǿप से åयापक पिरभाषा  प्रदान करती हɇ, जब हम नीितयɉ को ग्रथɉ ं , प्रथाओं, प्रतीकɉ और प्रवचन के माÚयम से प्रकट  करते  हɇ। ये प्रवचन वèतु ओं और सेवाओं के साथ-साथ  िविनयमɉ, आय,  िèथित और अÛय  सकारा×मक  या  नकारा×मक  महǂ वपू ण  िवश र् ेषताओं  सिहत  अÛय  मãयɉ  को  पिरभािषत  और  ू िवतिरत करती है। इस पिरभाषा का अथ हर् ै िक नीितयाँ न केवल कानू नɉ और िविनयमɉ मɅ िनिहत हɇ बिãक जब एक बार, एक  िनयम या कानू न बन जाता है उसके बाद भी नीितयाँ बनती रहती हɇ क्यɉिक नीित को लाग करन ू े वाले लोग (अथार्त,् उन नीितयɉ को लाग करन ू े वाले) िनणय ल र् ेते हɇ िक उन नीितयɉ से िकसे लाभ होगा और पिरणाम के Ǿप मɅ िकस पर  इसका बोझ पड़गा। े 8

नीित और िनयम मɅ अतर 

सरकारी और अकादिमक क्षेत्रɉ मɅ नीित िवषय िक बढ़ती लोकिप्रयता ने कई तरह के शÞदɉ के प्रयोग और उनकी बारंबारता ने शÞदɉ का उलझा हु आ जाल का िनमार्ण िकया है, िजससे इस  नीित को  समझने  मɅ किठनायɉ का  सामना करना  पड़ता  है खासकर  िक नीित और  िनयम  शÞद को लेकर। परÛतु   इनमे से प्र×येक मɅ मलǾप स ू े अतर  ह ं ै। जसै े, नीित गितशील तथा  लचीली  होती  है  जबिक  िनयम  िवशष  तथा  कठोर  होत े े  हɇ।  नीितयाँ  सामाÛयत:  िनयमɉ  िक  अपेक्षा  िवèतत  होती  ह ृ ै।  इनका  वणन  अिधक  साधारण  भाषा  म र् Ʌ  िकया  जाता  है।  जबिक  नीितयाँ तो काय करन र् े के िलए मागदिशर् का होती ह र् ै, जबिक िनयम िवशेष Ǿप से यह बताते हɇ िक क्या करना है और क्या नहीं िकया जा सकता। िनयमɉ के पीछे सामाÛयत: बताये गए  िवशेष  दंड  होते  हɇ  परÛतु   नीितया,ँ  िबना  िकसी  िवशेष  तथा  पू व  िनधा र् र्िरत  दÖडɉ  को  साथ  लगाये तथा उनमे पिरवतन क र् े èथान रखती है। 

नीित लोक नीित कैसे बनती है?

अगर मौटे तौर समझने का प्रयास करे िक कोई भी नीित लोक नीित कब बनती है, तो इसे हम  इस  अथ  मर् Ʌ  समझ  सकते  हɇ  िक  जब  िकसी  भी  नीित  को  राÏय और  उसकी  सèथानɉ 

ɮवारा अपनाया, कायार्िÛवत और लाग िकया जाता ह ू ै तो वह लोक नीित का Ǿप धारण कर  लेती  है।  थॉमस आर.  डाई  के  शÞदɉ  मɅ,  कोई  भी  नीित  अिनवाय  Ǿप  स र् े  लोक  नीित  तभी  बनती है जब राÏय से उसे वैधता प्राÜत हो जाता है या राÏय उसे बैधता प्रदान कर देता है।  हॉगवु ड और गन का मानना है िक एक लोक नीित कुछ हद तक सरकारी प्रिक्रयाओ,ं  प्रभाव  और सगठन क ं े ढाँचे के भीतर तैयार की गई हो या कम-से-कम उसके ɮवारा प्रिक्रयारत हो।  यह Úयान रखना महǂ वपू ण हर् ै  िक राÏय की संèथाएँ अिनवाय Ǿप स र् े सावजिनक नीित को  र् वैधता  का  İोत  प्रदान  करती  हɇ,  यानी  िकसी  भी  लोक  नीित  को  राÏय  की  सèथाओ ं ं  का  समथन प्राÜत होता ह र् ै। वही थॉमस ए. बकर्लड लोक नीित को सरकार  िक एक अिभåयिक्त  ɇ के तौर पर पिरभािषत करते हɇ, िजससे यह पता चलता है िक वह क्या करना चाहती है या  नहीं  करना  चाहती  है,  उदाहरण  के  िलए,  काननू ,  िविनयमन,  िनणयर् ,  िनणय या आद र् ेश  या  इनका  सयोजन।  इसी  तरह  िफशर  लोक  नीित  को  राजनीितक  एज ं Ʌडा  के  Ǿप  मɅ  देखते  हɇ, िजसमɅ आिथकर् , सामािजक, पयार्वरणीय, और इसी तरह की दसरी समèयाओ ू ं को हल करने या  कम  करने  के  िलए  िडज़ाइन  की  गई  कारर्वाई  (या  िनिçक्रयता)  पर  एक  राजनीितक  समझौते  के  Ǿप  मɅ  पिरभािषत  करते  हɇ।  जबिक  थॉमस  आर.  डाई  सरकारी  गितिविध  के मामलɉ और पिरणामɉ के  िववरण और èपçटीकरण को संदिभत करन र् े के  िलए ‘लोक नीित’ उसके दायरे का िवèतार करता है। इन सभी पिरभाषाओं को जानने और समझने के बाद भी  िफशर जसै े सरीखे िवɮवानɉ का मानना है िक लोक नीित की कोई मानक पिरभाषा नहीं है।  िजससे हम लोक नीित को èपçटता से पिरभािषत करने के िलए प्रयोग कर सके। 9  थॉमस ए. बकर्लड  न ɇ े  लोक  नीित  के  कुछ  िवशेषताओं  की  पहचान  िकया  है,  जो  नीित  को  लोक  नीित  बनाती है, जसै े 10—

1.  नीित जनता के नाम पर बनती है।

2.  नीित आम तौर पर सरकार ɮवारा बनाई या शǾ की जाती ह ु ै। 

3.  नीित को सावजिनक और  िनजी अिभन र् ेताओं ɮवारा कायार्िÛवत और åयाख्याियत  िकया  जाता है।  4.  नीित वह है, जो सरकार कुछ करने का इरादा रखती है।  

5.  नीित वह है जो सरकार कुछ नहीं करना चु नती है।  थॉमस आर. डाई का मानना है िक लोक नीित को सरकार से तीन तरह िविशçट िवशेषताएँ प्राÜत  होती  है।  पहला,  नीितयɉ  िक  वैधता—  जो  सरकार  ɮवारा  नीितयɉ  को  िदया  जाता  है, 

िजससे लोक नीितयाँ कानू नी दािय×वɉ का चोला ओढ़ लेती है, िजससे जनता के बीच मɅ लागू करने पर सरकार को  िकसी तरह  िक बाधा का सामना नहीं करना पड़ता, जो एक तरह से नागिरकɉ की वफादारी का आदेश देते हɇ। दसरा ू , नीितयɉ  िक सावभौिमकता र् — केवल सरकारी  नीितयɉ मɅ ही सावभौिमकता पहल र्  िदखाई द ु ेता है, िजससे िकसी भी नीित का िवèतार समाज  के  सभी  लोगɉ  तक  िवèतािरत  होता  है।  आिखर  मɅ  वैधािनक  कायवाही र् —  केवल  सरकारी  नीितया ही समाज म ँ Ʌ एकािधकार रखती हɇ और केवल सरकार ही अपनी नीितयɉ का उãलघन  ं करने वालɉ पर वैध Ǿप से दंड/ उिचत कायवाही का मापद र् ंड रखती है। 11 िकसी भी नीित के साथकर् , èवीकाय और लाग र्  होन ू े के िलए, उसके पास वैधता का İोत होना जǾरी है। वैधता  एक  प्रणाली  या  मजं री  या  अिधकार  क ू े  आधार  को  सदिभ ं त  करती  ह र् ै  जो  राजनीितक  èवीकायता या किथत  िनçपक्षता का एक तरीका  ह र् ै। लोक नीित,  िनिæचत Ǿप से,  िविभÛन  प्रकार के नीितगत साधनɉ— कानू न, आिथक साधनɉ  र् (मãय  िनधा ू र्रण, करɉ और सिÞसडी) के साथ-साथ िविशçट नीित िववरणɉ या प्रèतावɉ के माÚयम से लाग की जाती ह ू ै। 

नीित िवæलेषण से आप क्या समझते है?

हाल के िदनɉ मɅ नीित िवæलेषण को लेकर बढ़ती ǽिच ने इस िवषय से सबं ंिधत सािह×यɉ मɅ अप्र×यािशत वɮिध ह ृ ु ई है, िजस कारण सािह×य मɅ नीित िवæलेषण के िलए प्रयु क्त होने वाले शÞदɉ  की  िवèमयकारी  िविवधता  ने  एक  समèया  को  जÛम  िदया  है।  जसै े,  नीित  िवज्ञान, नीित अÚययन और नीित िवæलेषण तीन ऐसे शÞद हɇ, िजनका उपयोग आमतौर पर पू रे क्षेत्र  का वणन करन र् े के  िलए  िकया जाता  है। कभी-कभी  इन शÞदɉ का उपयोग  िविशçट, अÍछी  तरह से पिरभािषत अथɟ मɅ िकया जाता है, कभी-कभी इनका उपयोग परèपर िकया जाता है।  लेिकन  जब  इन  शÞदɉ  को  िवशेष  Ǿप  से  पिरभािषत  िकया  जाता  है  तो  अक्सर  िविभÛन  लेखकɉ  ɮवारा  िनयोिजत  पिरभाषाओ  मं Ʌ  बहु त कम  िèथरता  िदखाई  देती  है।  पहला,  हाल के दशको मɅ नीित  िवज्ञान के उदय और लेखकɉ ɮवारा  िलखे गए सािह×यɉ मɅ नीित  िवæलेषण  शÞद का प्रमखता स ु े प्रयोग करना, इस िवषय को पसदीदा क्ष ं ेत्र के Ǿप मɅ èथािपत करता है।  नीित  िवæलेषण  का  उपयोग  करने  का  दसरा  कारण  यह  ह ू ै  िक  यह  क्षेत्र  को  नीित  ‘का’ िवæलेषण  और  नीित  ‘के  िलए’  िवæलेषण  मɅ  िवभािजत  करने  मɅ  सक्षम  बनाता  है।  एक  åयावहािरक  गितिविध  के  Ǿप  मɅ  नीित  िवæलेषण  मख्य  Ǿप  स ु े  सामािजक  समèयाओं  के समाधान मɅ योगदान करने से सबं ंिधत है।  साधारण शÞदɉ मɅ, िकसी भी लोक नीित को बनाने, उसका प्रबंधन और मãया ू ंकन करने के  िलए  उपयोग  िकये  गए  ज्ञान  को आम  तौर  पर  ‘नीित  िवæलेषण’  कहा  जाता  है।  नीित 

िवæलेषण, िकसी भी नीित या कायक्रम क र् े प्रभाव की जाँच और उसके मãया ू ंकन के माÚयम  से सगठना×मक प्रभावशीलता को मापन ं े की एक तकनीक  है। 12 लोक प्रशासन शÞदकोश के अनु सार, नीित िवæलेषण, “नीित या नीित िवकãप के प्रभावɉ के बारे मɅ सहज िनणय क र् े िलए  एक åयविèथत और डटा आधािरत िवकãप े ” है, िजसका उपयोग13—

(अ)  समèया मãया ू ंकन और िनगरानी के िलए िकया जाता है, 

(ब)  तØय के िनणय उपकरण स र् े पहले, और  

(स)  मãया ू ंकन के िलए।  

बी.ए.  हॉगवड ए ु ंड एल. ए. गन नीित  िवæलेषण को दो तरह से देखते  हɇ— एक पु राना और  दसरा  नया  ह ू ै।  हॉगवु ड और  गन  नीित  िवæलेषण  को  पु राना  इसिलए  कहते  हɇ  क्यɉिक  यह  अनु शासन पर आधािरत है, जो दशकɉ से सरकार की गितिविधयɉ का  िवæलेषण कर रहा है और उन तकनीकɉ पर भी जो सरकार के बाहर िनणय ल र् ेने के िलए िवकिसत की गई हɇ। यह  नया  इसिलए  है  क्यɉिक  िपछले  बीस  वषɟ  मɅ  नीित  के  िवæलेषण  को  कɅद्र  मɅ  रख  के  कायर् िकया जा रहा है (िविशçट अनु शासना×मक या पेशेवर फोकस के िवपरीत) और एक िवषय के Ǿप मɅ लोगɉ िक ǽिच मɅ काफ़ी मɅ वɮिध ह ृ ु ई है। 14   थॉमस आर.  डाई  िलखते  हɇ, नीित  िवæलेषण का काम यह पता लगाना  है  िक ‘सरकार  क्या  करती  है’, ‘क्यɉ  करती  है’ और  ‘इससे  क्या  फकर्  पड़ता  है’।  डाई  के  िवचार  मɅ,  नीित  िवæलेषण की सभी पिरभाषाएँ ‘वाèतव मɅ एक ही बात पर आधािरत हɇ— सरकारी के कारर्वाई  के  कारणɉ  और  पिरणामɉ  का  िववरण  और  èपçटीकरण’।  पहली  नज़र  मɅ  यह  पिरभाषा  राजनीित िवज्ञान की िवषय-वèतु  को नीित िवæलेषण के Ǿप मɅ विणत करती प्रतीत होती ह र् ै, इसी के भाँित राजनीितक वैज्ञािनक भी सरकारी कारर्वाई के कारणɉ और पिरणामɉ मɅ अिधक  ǽिच  रखते  हɇ और  इस  तरह  की  कारर्वाई  का  वणन और  åयाख्या  करन र् े  के  िलए  प्रयासरत  रहते हɇ। िफर भी, डाई का मानना हɇ िक ‘परंपरागत Ǿप से राजनीितक वैज्ञािनकɉ ने सरकार  की सèथाओ ं ं और सरचनाओ ं ं की जांच करने पर Úयान कɅिद्रत  िकया’। डाई सरकारी कारर्वाई  के  ज्ञान  को  बढ़ाने  मɅ ‘िवæलेषण’  की  भिमका  पर  जोर  द ू ेते  हɇ  और  उनका  मानना  है  िक 

‘िवæलेषण’  नीित-िनमार्ताओं  को  ‘लोक  नीित’  की  गणवƣा  म ु Ʌ  सधार  करन ु े  मɅ  भी  मदद  कर  सकता है। 15   अममनू ,  Ïयादातर  लेखकɉ  ने  तकर्  िदया  है  िक  नीित  िवæलेषण  एक  िनदȶशा×मक और  साथ  ही  वणना×मक  गितिविध  ह र् ै।  नीित  िवæलेषण  के  संèथापकɉ  मɅ  से  सबसे  पहला  नाम  हेरोãड  लासवेल  का आता  है,  िजÛहɉने  सामािजक  िवज्ञान और  अÛय  िवषयɉ  मɅ ‘एक  नीित  अिभिवÛयास’ के िवकास पर Úयान केिÛद्रत िकया। इसमɅ दो तǂ व शािमल है— नीित प्रिक्रया  के बारे मɅ ज्ञान का  िवकास, और नीित  िनमाताओर् ं के  िलए उपलÞध जानकारी मɅ सधार। ु 16 लासवेल ने नीित अिभिवÛयास को नीित िवज्ञान Ǻिçटकोण के Ǿप मɅ भी विणत िकया ह र् ै, जो  हेज़केल  ड्रोर  ɮवारा  प्रचािरत  शÞद  है  िजसका  अथर् ‘बेहतर  नीित-िनमार्ण  के  िलए  åयविèथत  ज्ञान,  सरिचत  तक ं र्सगतता  और  स ं गिठत  रचना×मकता  क ं े  योगदान’  को  सदिभ ं त  करना।  र् लासवेल का तकर्  है  िक नीित  वैज्ञािनक  को  ‘समाज  मɅ  मनुçय की  मलभू त  समèयाओ ू ं’  पर  Úयान देना चािहए, जबिक ड्रोर का मानना है  िक ‘नीित  िवज्ञान मानव  िèथित मɅ सधार क ु े िलए आवæयक  है’ और  सही  मायने  मɅ  तबाही  से  बचने  के  िलए आवæयक  कदम।  ड्रोर  का  मानना है िक “नीित िवæलेषण (उनकी शÞदावली नीित िवज्ञान मɅ) ‘एक नया सपर अन ु ु शासन’ है”, िजससे कई नीित वैज्ञािनक अपने को अलग रखते हɇ। जसै े वाइãडाåèकी, इनका मानना  है  िक  “नीित  िवæलेषण  एक  अनु प्रयु क्त  उप-क्षेत्र  है,  िजसकी  सामग्री  को  अनु शासना×मक  सीमाओं ɮवारा िनधार्िरत नहीं िकया जा सकता है, लेिकन जो कुछ भी समय की पिरिèथितयɉ  और समèया की प्रकृित के िलए उपयु क्त प्रतीत होता है।” नीित पर लेखकɉ ने नीित-िनमार्ण  और कायार्Ûवयन की बेहतर समझ हािसल करने के िलए िनचले èतर के अिभनेताओ,ं  िजÛहɅ कभी-कभी सड़क-èतरीय नौकरशाह कहा जाता है, की कारर्वाई पर अपना Úयान कɅिद्रत िकया।  आरोन वाइãडाåèकी के शÞदɉ मɅ ‘नीित एक प्रिक्रया के साथ-साथ एक उ×पाद भी है’, िजसका  उपयोग िनणय ल र् ेने की प्रिक्रया और उस प्रिक्रया के उ×पाद के सदभं  मर् Ʌ भी िकया जाता है।  आरोन वाइãडाåèकी आगे कहते हɇ िक ‘नीित िवæलेषण समèया कɅिद्रत गितिविध के Ǿप मɅ।’ अथार्त,् िवæलेषण नीित-िनमार्ताओं के सामने आने वाली अपनी िवषय-वèतु  की समèयाओं को  लेता  है  और  रचना×मकता,  कãपना  और  िशãप  कौशल  की  प्रिक्रया  के  माÚयम  से  उन  समèयाओं को सधारन ु े का लêय रखता है। वाइãडाåèकी के  िवचार मɅ समèयाओ का इतना  ं समाधान नहीं है, िजतना िक अितरेक। कई सामािजक समèयाओं की जिटलता को देखते हु ए, िवæलेषण की भिमका समèया का पता लगाना ह ू ै जहाँ समाधान की कोिशश की जा सकती  है। यिद िवæलेषक इस तरह से समèयाओं को िफर से पिरभािषत करने मɅ सक्षम है, िजससे

कुछ सधार स ु भव हो तो यह उतना ही ह ं ै, िजतना िक उàमीद की जा सकती है। इस प्रिक्रया  के  िहèसे  के  Ǿप  मɅ  वाइãडाåèकी  का  तकर्  है  िक  िवæलेषक  को  कारर्वाई  मɅ  सलग्न  होना  ं चािहए।  समèयाओं  के  बारे  मɅ  सोचना  और  समाधान  तलाशना—  वाइãडाåèकी  के  शÞद  ‘बौɮिधक ज्ञान’ मɅ— को ‘सामािजक संपकर्’ से जोड़ा जाना चािहए, यिद िवæलेषण योजना और  राजनीित  दोनɉ  से  सबं ंिधत  है, और  िवæलेषण  का  उÍचतम  Ǿप  लोगɉ  के  बीच  बातचीत  मɅ सहायता के िलए बु ɮिध का उपयोग कर रहा है।  एक  तकनीक  के  Ǿप  मɅ  नीित  िवæलेषण  डटा  को  साव े जिनक  नीितयɉ  क र् े  पिरणामɉ  का  अनमान लगान ु े और मापने के बारे मɅ िनणय ल र् ेने या उपयोग करने के िलए रखता है। इसका  उɮदेæय दोहरा है जसै े, पहला, प्रèतािवत नीितयɉ के सभािवत पिरणामɉ ं , और दसरा ू , पहले से अपनाई गई नीितयɉ के वाèतिवक पिरणामɉ के बारे मɅ Ûयनतम लागत क ू े साथ अिधकतम  जानकारी  प्रदान  करता  है।  इन  दो  उɮदेæयɉ  को  प्राÜत  करने  के  िलए  िविभÛन  िविधयɉ  या  Ǻिçटकोणɉ को लाग िकया जाता ह ू ै जो इस प्रकार है 17—

(अ)  िसèटम िवæलेषण और उƣेजना; 

(ब)  लागत लाभ िवæलेषण; 

(स)  बजट के िलए नए Ǻिçटकोण; 

(ड)  नीित प्रयोग; तथा 

 (ई)  नीित मãया ू कन।  

नीित िवæलेषण के प्रकार

आर. के. सप्रू  के अनु सार नीित-िनमार्ण प्रिक्रया के मॉडल के साथ साथ नीित  िवæलेषण के प्रकार  िभÛन  होते  हɇ।  उनके  अनु सार  मख्य  Ǿप  स ु े  नीित  िवæलेषण  दो  प्रकार  के  होते  हɇ।  पहला, भावी और पू वåयापी िवæल र् ेषण, और दसरा ू , सामाÛय और सकारा×मक िवæलेषण।18 भावी और पू वåयापी िवæल र् ेषण (Prospective and Retrospective Analysis)   नीित िवæलेषण भावी (ex ante) िवæलेषण है, जो िनणय ल र् ेने से पहले होता है। वही दसरी  ू तरफ, नीित िवæलेषण पू वåयापी  र् (ex post) िवæलेषण है, जो नीित का आकलन या मãया ू ंकन  करने  के  बाद  िकए  जाता  है।  सभािवत ं ,  नीित  िवæलेषण  प्रèतािवत  नीित  के  भिवçय  के पिरणामɉ पर पू री तरह केिÛद्रत है। जबिक दसरी तरफ ू , नीित िवæलेषक िकसी िदए गए नीित 

िवकãप  के  भिवçय  के  पिरणामɉ  की  भिवçयवाणी  करने  का  प्रयास  करता  है और  पू वåयापी  र् नीित िवæलेषण िपछली नीितयɉ के िवæलेषण पर कɅिद्रत है।

मानकीय और सकारा×मक िवæलेषण (Normative and Position Analysis)

मानकीय  नीित  िवæलेषण  लोक  नीित  से  जड़ु  साव े जिनक  म र् ɮदɉ  को  हल  करन ु े  के  िलए  (मानकीय) तथा इसका अÚययन करने के िलए िनदȶिशत होती है। नीित िवæलेषण वणना×मक  र् के बजाय  िनदȶशा×मक होता है तथा यह नीित प्रिक्रयाओं का वणन करन र् े के बजाय कारर्वाई  करने की  िसफािरश करता  है। मानकीय नीित  िवæलेषण कई प्रकार के बयानɉ से अपने को  जोड़ के देखता है खासकर िजसमɅ मãय िनण ू य शािमल होता ह र् ै और यह प्रæन उठता है िक  आिखर क्या  होना चािहए (िकसी समèया के  िलए भिवçय की कारर्वाई)।  उदाहरण के  िलए, यह कथन िक प्राथिमक िवɮयालय जाने वाले बÍचɉ की िशक्षा की लागत बहु त अिधक है इस  सदभं  मर् Ʌ केवल आँकड़ɉ के आधार पर इसकी पुिçट नहीं की जा सकती। जबिक लागत िकसी  िदए  गए  मानदंड  पर आधािरत  है।  कोई  िशक्षा  लागत  के  तØयɉ  पर  सहमत  हो  सकता  है लेिकन साथ  ही  िशक्षा लागत के  िनिहताथ कर् े सबं ंध मɅ  िकसी के नैितक  िनणय पर अपनी  र् असहमित जाता सकता है।  सकारा×मक नीित  िवæलेषण  मãयɉ को नीित  िवæल ू ेषण  प्रिक्रया  से  बाहर  रखता  है। यह  लोक नीित को वैसा ही समझने की कोिशश करता है जसा वह ह ै ै साथ ही यह समझाने का  प्रयास करता है िक बाहरी ताकतɅ िकसी भी नीित को िकस तरह से पिरवितत करती ह र् ै। यह  वाèतिवक दिनया क ु े अनु भवɉ की कसौटी पर रखकर उÛहɅ मापता है और पिरकãपना परीक्षण  की  प्रिक्रया  के  माÚयम  से  स×य  का  पीछा  करने  का  प्रयास  करता  है।  सकारा×मक  नीित  िवæलेषण  मख्यतः  कारण  और  प्रभाव  क ु े  दावे  से  सबं ंिधत  है।  िवæलेषण  पर  असहमित  के मामले मɅ, यह तØयɉ की जाँच कर मामले को सलझाता ह ु ै। 

सकारा×मक  नीित  िवæलेषण  िबना  प्रभाव  के  नहीं  है।  जसै े,  सबसे  पहले,  मãयɉ  को  ू छोड़कर, नीित-िनमार्ता नीित िवæलेषण की प्रासिगकता पर काम Úयान द ं ेत हे ɇ िवशेषकर अपने िनधािरत लêयɉ और उɮद र् ेæयɉ से सबं ंिधत। दसरा ू , नीितगत बहसɉ मɅ मू ãय के महǂ व को कम  आँकते  हु ए  चचार्  को  लागत  लाभ  िवæलेषण  मɅ  èथानांतिरत  करता  है।  तीसरा,  Ûयाय  और  िनçपक्षता  जसै े  मãयɉ  को  छोड़कर  अिधक  व ू ैज्ञािनक  बनने  के  प्रयास  का  अथ  हर् ै  सपिƣ  क ं े अिधकार, आ×मिनभरता क र् े गणɉ ु , आिद के मãयɉ का प्रचार करन ू े के िलए åयावसाियक िहतɉ  और सामािजक Ǿिढ़वािदयɉ का पक्ष लेना।  इस प्रकार नीित िवæलेषण को लोक नीित के िलए एक तकनीक के Ǿप मɅ देखा जाता है, िजसका उɮदेæय उन िवषयɉ के अनु सधान को प्रास ं िगक बनाना ह ं ै, िजनमɅ समèया और नीित  अिभिवÛयास शािमल है। हॉगवु ड और गन (1981) ɮवारा नीित िवæलेषण के सात िकèमɉ की 

ओर इशारा करती है, जो गॉडनर् , लईस और य ु ग  ं (1977) ɮवारा िवæलेषण पर आधािरत था।  इस प्रकार है

•  नीित सामग्री का अÚययन  •  नीित प्रिक्रया का अÚययन  •  नीितगत पिरणामɉ का अÚययन  •  मãया ू ंकन  •  नीित-िनमार्ण के िलए सचना  ू •  प्रिक्रया वकालत  •  नीित समथन  र् (राजनीितक अिभनेता के Ǿप मɅ िवæलेषक, िवæलेषक के Ǿप मɅ राजनीितक  अिभनेता)। 

                                                                   


नीित िवæलेषण प्रिक्रया और वैæवीकरण

21वीं शताÞदी मɅ नीित  िवæलेषण  िक प्रिक्रया और उसकी पɮधित मɅ कई तरह के पिरवतन  र् देखने को िमले हɇ, खासकर वैæवीकरण के आगमन के साथ, िजसने लोक नीित िनधार्रण को  हमेशा के िलए बदल िदया है और लोक नीित प्रितèपधीर् क्षेत्र मɅ तÞदील हो गया है। राजनीित  से लेकर नागिरक समाज तक, नौकरशाही से लेकर िशक्षािवदɉ तक ने अपनी भागीदारी नीित- िनमार्ण मɅ ठोकना प्रारàभ कर िदया। लेिकन इससे पहले तक लोक नीित को प्रािधकार केवल  सरकार के जिरये िमलता था और वह एक मात्र कɅद्र थी। बाकी घटकɉ की भागीदारी ना मात्र  की थी, िजसे आप इस उदाहरण के जिरये समझ सकते हɇ। 1960 के दशक के बाद से जब  नागिरक अिधकार आंदोलनɉ ने दिनया को झकझोर िदया तब स ु े सरकार के अलावा कुछ-कुछ  बाहरी  घटकɉ  ने  जनता  की  बेहतरी  के  िलए  सरकारी  नीितयɉ  मɅ  कुछ  हद  अपनी  भिमका  ू िनभाई और कुछ गरै-सरकारी सगठन लोक नीितयɉ को प्रभािवत करन ं े मɅ सफल रहे। लेिकन  यह भी  िसफर् पिæचम के देशɉ तक सीिमत था और इसके बारे मɅ  िजक्र  िसफर् वहाँ ही होती  थी। लेिकन इितहास िक कुछ घटनाओं ने वैिæवक पटल पर अपनी छाप छोड़ी, िजससे राÏय  और जनता के बीच का अǺæय बाधा टूट गया। इन घटनाओ मं Ʌ िवयतनाम यु ɮध के प्रकोप, नागिरक अिधकार आंदोलन, लिगक समानता और मिहलाओ ɇ ं के मतािधकार के  िलए लड़ाई, ओपेक सकट और व ं िæवक आिथ ै क अिèथरता र् , दिनया भर क ु े लोगɉ ने िविभÛन Ǿपɉ और Ǿपɉ  मɅ नीित-िनमार्ण पर अपना दावा लामबंद कर अपनी माँगɉ के िलए दाव लगाया। िवश ं ेष Ǿप  से ’80  के  दशक  के  मÚय  से (हालाँिक  इसकी  शु ǽआत  ’60  के  दशक  से  ही  हो  चु की  थी) जनता,  िनगरानी  एजɅिसयɉ  और  िथक  ट ं ɇक  ɮवारा  िवƣ  पोिषत  काम  शु Ǿ  िकया  गया  और  वकालत  समहɉ न ू े  उƣरी अमेिरका और  पिæचमी यू रोप  मɅ तेजी  से अपना  पैर जमाया।  इस पू री ऐितहािसक घटनाओं ने मख्य Ǿप स ु े दो बदलावɉ को जÛम िदया। पहला, एक अवधारणा  के  Ǿप  मɅ  शासन  बहु त  अिधक  खंिडत  हो  गया  था।  अिभकतार्  के  Ǿप  मɅ  पहली  बार  अतरा ं र्çट्रीय और èथानीय èतर का शासन सिखु यɉ म र् Ʌ आया। यहा तक क ँ ुछ अवसरɉ पर कɅद्र  की  सरकारɉ  की  उपेक्षा  की  गई और  èथानीय और  अतरा ं र्çट्रीय  सरकारी  कतार्  एक-दसर ू े  को  èवतंत्र Ǿप  से  सलग्न करन ं े  मɅ  सक्षम  हो  पाए।  दसरा ू , ‘जनता’ की अवधारणा ने  राçट्र को  सीिमत  कर  िदया और  एक  अिधक  वैिæवक  पिरभाषा ग्रहण  की,  िजसने  िविभÛन  राÏयɉ  के सबं ंिधत नागिरकɉ को सामाÛय वैिæवक कारणɉ के इदर्-िगदर् खड़ा िकया। यू रोपीय सघ का एक  ं सपरन ु ेशनल  इकाई  के  Ǿप  मɅ  वैिæवक  पटल  पर  उभरना,  दिनया  क ु े  गरै-पिæचमी  िहèसे  मɅ शासन पर सयं ु क्त राçट्र के कायक्रमɉ का प्रभाव और बह र् ु राçट्रीय िनगमɉ की बढ़ती सख्या न ं े बहु पक्षीय  समझौतɉ  के  साथ-साथ  मक्त  åयापार  क्ष ु ेत्र  भी आमलचू ू ल  पिरवतन  िकय र् े।  िजससे नीित-िनमार्ण और िनधार्रण के कायɟ मɅ लचीलापण आया।19   हालाँिक वैæवीकरण के आगमन ने नए और जिटल सरचनाओ ं ं को जÛम िदया जो नीित  िनमार्ताओं िक तरफ से अिधक Úयान और समय िक माँग करता है। साथ ही लोक नीित के िनधार्रण  के  िलए  पु राने  पड़  चु के  मानदंडɉ  और  बɅचमाकर्  को  ×यागने  की  माँग  करता  है, िजसका आज के समय मɅ कोई खासा महǂव नहीं है। आज के समय मɅ काम और अिधक  महǂव के èथानीय मɮदु े भी अब राçट्रीय, क्षेत्रीय और वैिæवक èतर पर महǂ व रखते हɇ। इससे िवæव  बकɇ ,  अतरा ं र्çट्रीय  मद्रा  कोष  और  िवæव  åयापार  स ु गठन  ज ं सै े  बहु पक्षीय  सèथानɉ  को  ं अपने  Ǻिçटकोण और अपने  काय क्षर् ेत्रɉ  का  िवèतार  करने  के  िलए  मजबू र  होना  पड़ा  तािक  सभी तरह के मɮदɉ को सàमान महǂ  ु व  िमल सके और सभी  िहतधारक तेजी से और मखर  ु तरीकɉ से अपनी िचता और बात व ं ैिæवक पटल पर रख सके।  आज के समय मɅ लोकतंत्र, राÏय और सावजिनक नीित र् -िनमार्ण प्रिक्रयाओं को गढ़ने और  उससे  िनकलने  वाले  पिरणामɉ  ने  दिनया  म ु Ʌ  महǂ वपू ण  पिरवत र् न  िकया  ह र् ै।  एक  बाजार  िवचारधारा और लोकतांित्रक प्रितमान के Ǿप मɅ नवउदारवाद ने इन सभी हािलया पिरवतनɉ  र् और सधार क ु े प्रयासɉ को सभी èतरɉ पर नीित-िनमार्ण प्रिक्रयाओं के कामकाज को प्रभािवत  करने वाला प्रमख मॉडल बन गया ह ु ै। िजससे कई तरह के मौजदा म ू ɮदɉ न ु े सभी èतरɉ पर  अिभनेताओ  को  समाधान  खोजन ं े  के  िलए  वैिæवक  पिरप्रेêय  से  ऐसे  मामलɉ  के  प्रित  प्रेिरत  िकया है। चँ ूिक वैæवीकरण का ता×पय प्रितèपधा र्  और सहयोग की एक िवरोधाभासी द र् िनया म ु Ʌ अÛयोÛयाĮयता  है और  िजसने  सावजिनक  नीित र् -िनमार्ण  प्रिक्रयाओं  मɅ  एक-दसर ू े  से  सीखने और सवȾƣम काय पɮधितयɉ को द र् ेखने, शािमल करने और उसको कायार्Ûवयन करने के िलए 

प्रेिरत  िकया  है।  िजससे  नीित  िवæलेषण  लोक  सरोकारɉ  के  मामलɉ  के  िलए  ĮमसाÚय  का  िवषय  बन सके। नीित  िवæलेषण के जिरये शहरɉ, èकूल  िजलɉ और  राçट्रɉ जसै े  राजनीितक  सगठन क ं े åयवहार, िनयमɉ, प्रथाओं या एजɅिसयɉ मɅ सधार कर सक ु े। इसिलए इसका मकसद  उन  कानू नɉ,  अÚयादेशɉ  या  सरकारी  ढाँचे  को  बदलना  है,  िजसके  तहत  ऐसा  सगठन ं 20 सचािलत होता ह ं ै। क्यɉिक अिधकांश नीित  िवæलेषण का कायर् (भारत के सदभं  मर् Ʌ) सरकारी  िवभागɉ  ɮवारा  िकया  जाता  है—िजसमɅ  आमतौर  पर  अलग-अलग  िवभागɉ  के  åयिक्तयɉ  या  सरकारी कमचािरयɉ और विरçठ अिधकािरयɉ ɮवारा िकया जाता ह र् ै। इसके अलावा, कुछ वषɟ  से, िनजी सगठनɉ और सलाहकारɉ ɮवारा नीित िवæल ं ेषण का काय िकया जा रहा ह र् ै, लेिकन  वह भी अिधकांश सरकारी एजɅिसयɉ के अनु बंध के तहत होता है।  हालाँिक  िकसी  भी  नीित  का  िवæलेषण  करना और  उसे  पिरसीिमत  करना आसान  नहीं होता है क्यɉिक एक राजनीितक सगठन म ं Ʌ बदलाव के अतहीन प्रभाव हो सकत ं े हɇ। वाèतव  मɅ,  कुछ  सदèयɉ  को  लाभ  प्रदान  करने और  दसरɉ  को  न ू ु कसान  पहुँचाने  के  िलए  कोई  भी  पिरवतन लगभग िनिæचत ह र् ै और कभी-कभी लाभɉ का अनु मान लगाना मिæकल हो जाता ह ु ै क्यɉिक  कोई  भी  सदèय  पिरवतन  को  अपन र् े  लाभ  मɅ  बदलने  के  िलए  या  िजनके  साथ  वे प्रितèपधार्  कर  रहे  हɇ,  उनको  नु कसान  पहुँचाने  के  िलए  िविभÛन  प्रकार  के  उपकरणɉ  और  åयवहारɉ का आिवçकार करते हɇ। िजससे नीित िवæलेषण िक प्रिक्रया बािधत होती है और जो  भी  उɮदेæय  हमने  िनधार्िरत  िकया  था  उसको  प्राÜत  करने  मɅ  कई  तरह  के  किठनाइयɉ  का  सामना करना पड़ता है।   आिखर  मɅ,  परंपरागत  Ǿप  से,  लोक नीित  ‘राçट्र  राÏय’, ‘राçट्रीय  सरकार’ और  ‘राçट्रीय  लोक प्रशासन’ के साथ घिनçठ Ǿप से जड़ी ह ु ु ई थी और कुछ हद तक आज भी जड़ी ह ु ु ई है, िजससे  लोक  योजनाओ  का  ताना  बाना  बु नता  है।  लेिकन  लोकतंत्रीकरण,  बाजारीकरण और  सशक्त  नागिरक  समाज,  आिद  के  साथ-साथ  वैæवीकरण  ने  वैæवीकृत  और  िविवध  नीित- िनमार्ण  प्रिक्रयाओं  का  िवकास  िकया  है,  िजससे  वैिæवक  शासन  और  वैिæवक  सावजिनक  र् सèथानɉ का महǂ  ं व बढ़ गया और साथ ही नागिरकɉ, सावजिनक और िनजी अिभन र् ेताओं को शािमल िकया गया िजसने लोक नीित और नीित िवæलेषण िक प्रिक्रया को पू री तरह प्रभािवत  िकया िजससे सगठन ं , प्रशासिनक ढाँचा, लोक åयवहार आिद शािमल है। 21 इस प्रकार, राÏय या अÛय राçट्रीय सावजिनक स र् èथान अब लोक नीित क ं े एकमात्र कɅद्र  के  Ǿप  मɅ  काय  नही र् ं  करते  हɇ।  चँ ूिक  राÏय और  कɅद्र  सरकार  ने  अपनी  कुछ  शिक्तयɉ  को  बाजार के अिभनेताओ,ं  गर सरकारी स ै गठनɉ ं , èथानीय और क्षेत्रीय सावजिनक प्रािधकरणɉ को  र् बाँट िदया है, इसिलए सावजिनक नीित र् -िनमार्ण की प्रिक्रया मɅ इन अिभनेताओं की भागीदारी  और  प्रभाव  बढ़  गया  है।  बढ़ते  बाजारीकरण,  िवकɅद्रीकरण  और  वैæवीकरण  की  प्रविƣयɉ  क ृ े कारण, न केवल राçट्रीय, क्षेत्रीय और èथानीय प्रशासन/ सरकारɉ के िविभÛन èतरɉ के बीच, बिãक  सावजिनक र् ,  िनजी और नागिरक  अिभनेताओ  कं े  िविभÛन  क्षेत्रɉ  के  बीच  भी  बातचीत  और सहयोग  होना शु Ǿ  हो गया  है। और अब नीित कायार्Ûवयन, अतरा ं र्çट्रीय सहयोग, आम  सहमित,  सयं ु क्त  प्रितबɮधता,  राजनियक  दबावɉ  के  साथ-साथ  नागिरकɉ  को  िशिक्षत  और  आæवèत करने पर िनभर ह र् ै।

नीित िवæलेषण की सीमाएँ 

यह  èपçट  है  िक  भिवçय  हमेशा  ही  अिनिæचत  होता  है और  कोई  भी  िविध और  पɮधित  समाज के समèत समèयाओं का िनराकरण नहीं कर सकता है, इसिलए इस तरह िक शंका  नीित िवæलेषण को लेकर भी उठती है िक क्या नीित िवæलेषण समाज के भिवçय से सबं ंिधत  समèयाओं  का  समाधान  ढूँढ़  सकता  है  खासकर  के  गरीबी,  बेरोजगारी,  असमानता  और  पयार्वरण प्रदषण जो आज भारत सिहत िकसी भी समाज िक प्रम ू ख समèयाए ु ँ हɇ। बेशक, यह  एक बेहतर समाज के िलए प्रयास करने मɅ िवफल होने का एक बहाना हो सकता है और यह  जǽर महसस िकया जा सकता ह ू ै िक इन समèयाओं का समाधान खोजना मिæकल हो सकता  ु है और भिवçय मɅ कई तरह  िक चनौितयɉ का सामना करना भी पड़ सकता ह ु ै लेिकन यह  कहना  िक इसे हल नही  िकया जा सकता ह ं ै, यह नीित िवæलेषण के प्रित हमारे उ×साह को  कम करने कारणɉ मɅ से एक हो सकता है और िजसकी अपनी कुछ सीमाएँ भी है।  पहला, अममन यह द ू ेखा गया है िक नीित िवæलेषण प्रिक्रया अपने आप मɅ बहु त लबी ह ं ɇ (अविधके िहसाब से) या समझने और दसर ू े को समझना बहु त किठन (उसकी जिटलता) काम  लगता है,  िजससे वह अपनी प्रासिगकता खोती जा रही ह ं ै। कई पेशेवर नीित  िवæलेषकɉ का  मानना है िक अगर नीित िवæलेषण के बारे मɅ िकसी को समझाया नहीं जा सकता है तो वह  िकसी काम िक नहीं हो सकती। अक्सर, नीित िवæलेषण åयिक्तपरक िवषयɉ से सबं ंिधत होता 

ै  और  पिरणामɉ  की  åयाख्या  पर  िनभर  होता  ह र् ै  जसै े,  पेशेवर  शोधकतार्  अक्सर  अपने िवæलेषण के पिरणामɉ की अलग-अलग åयाख्या करते हɇ, िजससे उसकी जिटलता बढ़ जाित  है।  जािहर  है  िक  अनु सधान  क ं े  पिरणामɉ  की  इन  वैकिãपक  åयाख्याओं  से  िभÛन-िभÛन  नीितगत िसफािरशɅ सामने आती हɇ।  दसर ू े, नीित  िवæलेषण जब  तक  समèयाओं  का  समाधान नहीं  कर  सकता  है,  जब  तक  समèयाओं  पर आम  सहमित  नहीं  बन  जाती  िक  समèया आिखर  है  क्या?  यह  सामािजक  मãयɉ स ू े उपजे सघषɟ को हल करन ं े मɅ असमथ हर् ै।  िवशेष Ǿप से, यह सलाह दे सकता है िक अितम म ं ãयɉ क ू े एक  िनिæचत सेट को कैसे पू रा  िकया जाए लेिकन यह  िनधािरत नही र् ं कर सकता िक वे अितम म ं ãय क्या होन ू े चािहए। इसके अलावा, सामािजक िवज्ञान अनु सधान  ं मãय म ू क्त नही ु  हो सकता और ना ही सरकार क ं े  िलए समाज की सभी या यहा तक  िक  ँ अिधकांश  िवकृितयɉ को ठीक करना सरल काम  है। सरकार के  िलए अÛदर और  बाहर कई  तरह  िक  समèयाए  है,  िजÛहɅ  आसानी  से  प्रबिधत  नही ं   िकया  जा  सकता  ज ं सै े—  जनसख्या  ं वɮिध ृ , पािरवािरक जीवन के पैटन,र् वग सर् रचना ं , धािमक राहत र् , सèकं ृितयɉ और भाषाओ की  ं िविवधता, िवƣीय ससाधनɉ आिद और इसक ं े अलावा कुछ सामािजक बीमािरयाँ जो पू री तरह  से असाÚय होती हɇ।  तीसरी, नीित िवæलेषण अनु सधान क ं े िडजाइन मɅ अतिन ं िहत कई सीमाए र् ँ हɇ, उदाहरण के िलए, मनुçयɉ पर कुछ  प्रकार के  िनयंित्रत प्रयोग करना किठन  हो जाता  है।  इसके अलावा, यह देखा गया है िक नीित अनु सधान करन ं े वाले åयिक्त अक्सर योजना प्रशासक होते हɇ, जो  अपने  योजना/कायक्रम  क र् े  सकारा×मक  पिरणामɉ  को  सािबत  करने  मɅ  िवशेष  ǽिच  रखते  हɇ।  अनु सधान को नीित काया ं र्Ûवयन से अलग करना वांछनीय है, लेिकन ऐसा करना एक किठन  काय प्रतीत होता ह र् ै।  चौथा, नीित िवæलेषण की एक और सीमा यह है िक समाज की बीमािरयाँ इतनी जिटल  हɇ िक िवæलेषक प्रèतािवत नीितयɉ के प्रभाव की भिवçयवाणी करने मɅ असमथ हर् ɇ। åयिक्तगत  और समह åयवहार क ू े बारे मɅ सीिमत ज्ञान की कमी के कारण सामािजक वैज्ञािनक नीित- िनमार्ताओं को उिचत सलाह देने मɅ िवफल रहत हे ɇ। तØय यह है िक सामािजक वैज्ञािनक कई  िवरोधाभासी  िसफािरशɅ  देते  हɇ, यह  सामािजक  समèयाओ कं े  िवæवसनीय  वैज्ञािनक ज्ञान की  अनु पिèथित को इंिगत करता है। समाज की अिधकांश बीमािरयाँ कई तरह िक बाहरी प्रभावɉ  ɮवारा िनिमत होती ह र् ɇ िक उनकी एक सरल åयाख्या करना शायद ही सभव काम हो।

िनç कष

नीित िवæलेषण अथशाèत्र र् , समाजशाèत्र या राजनीित िवज्ञान की तरह एक अनु शासन नहीं है।  यह िविभÛन सामािजक िवज्ञानɉ के उप-अनु शासन के Ǿप मɅ और अथशाèत्र र् , राजनीित िवज्ञान 

और अÛय सामािजक और यहाँ तक िक प्राकृितक िवज्ञान के मौजदा क्ष ू ेत्रɉ के आधार पर एक  अतःिवषय  क ं े  Ǿप  मɅ  फल-फूल  रहा  है।  जसा  िक  य ै जीन  बदा ू र्च  कहते  हɇ— “अिधकांश  सामािजक िवज्ञान अनु सधानɉ क ं े िवपरीत, अिधकांश नीित अनु सधान म ं ल क ू े बजाय åयु×पÛन  होते  हɇ। यह  रचना×मक तरीके  से अÛय के  िवचारɉ और  डटा को  पहल े े  से  ही  दसरɉ  ɮवारा  ू िवकिसत  िकया  गया  है।”  नीित  िवæलेषण  को  नीितगत  समèयाओं  के  साथ-साथ  नीितगत  प्रभावɉ  के  आकलन  मɅ  एक  महǂ वपू ण  तकनीक  क र् े  Ǿप  मɅ  माÛयता  दी  गई  है।  यह  लोक  नीितयɉ के  पिरणामɉ की जाँच,  िनणय  ल र् ेने और अत  म ं Ʌ  मापने  मɅ आवæयक जानकारी का  उपयोग करता  है क् यɉिक  लोक नीित  सगठना×मक  प्रभावशीलता  स ं े  सबं ंध  रखती  है  इसिलए  नीित  िवæलेषण  िक  एक Ǿपरेखा की आवæयकता  पड़ती  है। नीित  िवæलेषण  ढाँचा नीित को  पिरभािषत  करने  के  िलए  उपयोग  की  जाने  वाली  जानकारी  और  िवæलेषणा×मक  प्रिक्रयाओं दोनɉ की पहचान करता है। साथ ही नीित िवæलेषण के माÚयम से सामािजक वैज्ञािनक कम  से कम वतमान और िपछली साव र् जिनक नीितयɉ क र् े प्रभाव को मापने का प्रयास कर सकते हɇ और इससे अिजत ज्ञान को नीित र् -िनमार्ताओं के  िलए उपलÞध कराते हɇ। रॉबटर् लाइनबेरी ने नोट िकया िक नीित िवæलेषण इस धारणा पर िटकी हु ई है िक सचना िबना स ू चना स ू े बेहतर  है, और यह िक सही प्रæन िबना पछू े गए प्रæनɉ से बेहतर हɇ, भले ही उƣर िनिæचत न हɉ।  तकर्, ज्ञान और वैज्ञािनक िवæलेषण हमेशा िकसी ज्ञान के अभाव से बेहतर होते हɇ। अगर बात  भारत के संदभ मर् Ʌ करे तो कुलदीप माथु र का मानना है िक नीित िवæलेषण भारतीय शोध या  अकादिमक  परंपरा  मɅ  मख्यधारा  म ु Ʌ  कभी  नहीं  रहा  है।  िजसके  पीछे  का  कारण  यह  है  िक  नीित िवæलेषण को एक िवकिसत क्षेत्र के Ǿप मɅ अभी तक èपçट Ǿप से पहचान नहीं िमली  है और उसकी जगह लोक प्रशासन को अÚययन के  िवषय के Ǿप मɅ और एक åयावहािरक  क्षेत्र के Ǿप मɅ भारत मɅ काफी Úयान िदया गया है। 23   अतं : मɅ, नीित िवæलेषण समाज की बु राइयɉ का समाधान भले ही न दे, लेिकन नीितगत  प्रæनɉ  को  हल  करने  के  िलए यह अभी  भी  एक  उपयु क्त  उपकरण  है। नीित  िवæलेषण  हमɅ लोक नीित के कारणɉ और पिरणामɉ का वणन और åयाख्या करन र् े मɅ सक्षम है। 

FAQ:- 

1.  नीित क्या है? कोई भी नीित लोक नीित कैसे बनती है? सदभं  सिहत समझाइय र् े?  

2.  नीित  िवæलेषण  से  आप  क्या  समझते  है?  नीित  िवæलेषण  के  प्रकारɉ  आलोचना×मक  मãया ू ंकन कीिजए?

3.  वैिæवकरण ने नीित िवæलेषण प्रिक्रया को िकस तरह और िकस हद तक प्रभािवत िकया  है? अपने शÞदɉ मɅ åयाख्या कीिजए?

4.  नीित िवæलेषण से आप क्या समझते है? उसकी सीमाओं का वणन कीिजए र् ?

5. नीित िवæलेषण से क्या अिभप्राय है? नीित िवæलेषण की प्रकृित और कायक्षर् ेत्र पर चचार् करɅ? 

6. नीित िवæलेषण और नीित समथन क र् े बीच अतर कर ं Ʌ?

7. आप नीित िवæलेषण को नीित प्रबंधन की प्रिक्रया से कैसे जोड़Ʌगे?

8. िवæलेषण िविभÛन प्रकार के नीित िवæलेषण?

9.  नीित िवæलेषण की प्रिक्रया मɅ िविभÛन चरणɉ का वणन कर र् Ʌ?

10. नीित मãया ू कन म ं Ʌ मात्रा×मक और गणा×मक िविधयɉ और तकनीकɉ क ु े महǂव पर चचार् करɅ?

11. राÏय के अनेक िसɮधातɉ क ं े सदभं  मर् Ʌ नीित िवæलेषण का परीक्षण करɅ?

12. नीित िवæलेषण पर वैæवीकरण का प्रभाव कभी भी पू ण नही र् ं हो सकता। क्या आप इस  मत से सहमत हɇ? अपनी प्रितिक्रया िवèतत कर


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